Ae chand khubsurat
Ranjeet gupta
Ae chand khubsurat
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*आंखे कितनी भी छोटी क्यो ना हो !!*
*ताकत तो उसमे सारा*
*आसमान देखने*
*की होती है*
*ज़िन्दगी एक हसीन*
*ख़्वाब है ,, ,, जिसमें जीने*
*की चाहत होनी चाहिये*
*ग़म खुद ही ख़ुशी*
*में बदल जायेंगे*
*सिर्फ*
*मुस्कुराने*
*की*
*आदत*
*होनी चाहिये !
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